टोक्यो ओलंपिक: ओलंपिक खेलों में क्रिकेट के मुक़ाबले आख़िर क्यों नहीं होते?
ओलंपिक खेलों के दौरान आप सबने महसूस किया होगा कि किस तरह से भावनाओं का उफ़ान ज़ोर लगाता है. खिलाड़ी अपने देश की प्रतिष्ठा के लिए हर मुक़ाबले में जी जान लगा देते हैं और जो लोग वहां तक नहीं पहुंचते वे भी टीवी पर नज़रें जमाए होते हैं.
टोक्यो ओलंपिक के दौरान भारतीय खिलाड़ियों के मुक़ाबले के दौरान ऐसा हर भारतीय खेल प्रेमी ने महसूस किया होगा. साथ ही एक सवाल कई भारतीय खेल प्रेमियों के मन में रह रहकर उमड़ा होगा.
अगर गूगल पर ओलंपिक लिखें तो उन सवालों की सूची उभर आती है जिन्हें भारतीय सर्च कर रहे थे. उनमें से एक बड़ा सवाल यही है कि ओलंपिक में अब तक क्रिकेट को क्यों नहीं शामिल किया गया है?
टोक्यो ओलंपिक में इस साल कराटे जैसे कुछ नए खेलों को शामिल किया गया और इसके बाद से ही ओलंपिक खेलों में क्रिकेट की प्रतियोगिताओं की गै़र मौजूदगी की चर्चा शुरू हो गई.
इससे पहले साल 2008 के बीजिंग खेलों में बेसबॉल को शामिल किया गया था. टोक्यो ओलंपिक में उसे एक बार फिर से ओलंपिक का हिस्सा बनाया गया है. यानी ओलंपिक में नए खेलों को शामिल किया जाता रहा है और पुराने खेलों को शामिल रखा जाता रहा है.
यही वजह है कि हाल में हुई घोषणा के मुताबिक ब्रेक डांस को 2024 के पेरिस ओलंपिक खेलों में शामिल किया जाएगा.
कुछ लोगों की माँग तो यहाँ तक है कि चीयरलीडिंग को भी ओलंपिक खेलों का दर्जा मिले. ऐसे में इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि भविष्य में इसे भी ओलंपिक खेलों में शामिल कर लिया जाए.
चीयरलीडिंग, बेसबॉल और स्केट बोर्डिंग या फिर सर्फ़िंग जैसे खेल दुनिया के सभी देशों में नहीं खेले जाते. इनमें से अधिकांश को अमेरिकी खेल माना जाता है.
अगर गिनती के देशों में खेले जाने वाले खेलों को ओलंपिक में जगह मिल सकती है तो फिर क्रिकेट इसमें शामिल क्यों नहीं है?
हालांकि कुछ लोगों की राय यह भी है कि ओलंपिक खेलों में क्रिकेट का नहीं होना अच्छा ही है क्योंकि ओलंपिक के दौरान ही ऐसा मौका आता है जब भारतीय खेल प्रेमियों का ध्यान क्रिकेट से हटकर दूसरे खेलों पर जाता है. एक हद तक ये बात बिल्कुल सही भी है.
वहीं, दूसरी ओर ऐसे लोग भी हैं जिनके मुताबिक़ क्रिकेट के ओलंपिक में शामिल रहने पर भारत को निश्चित तौर पर मेडल भी मिलता और इससे क्रिकेट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दूसरे देशों तक ले जाने में मदद भी मिलती.
इनमें कौन सी दलील सही है और कौन सी ग़लत, हम इसका आकलन भी नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम आपको बताएंगे कि क्या कभी क्रिकेट ओलंपिक खेलों का हिस्सा था?
अगर हां तो कब और अगर नहीं तो अब तक क्यों नहीं हिस्सा बन सका? साथ ही हम आपको ये भी बताएंगे कि ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करने को लेकर कितनी गंभीर कोशिशें हुई हैं.
पहले ओलंपिक खेल में क्रिकेट
जब ओलंपिक खेलों का आयोजन पहली बार 1896 में हुआ था तब उसमें क्रिकेट भी शामिल था, लेकिन कोई टीम ही हिस्सा लेने के लिए मौजूद नहीं थी इसलिए उसे रद्द करना पड़ा.
चार साल बाद 1900 के ओलंपिक खेलों में भी क्रिकेट शामिल था. यह ओलंपिक फ़्रांस की राजधानी पेरिस में हुआ था. ओलंपिक के इतिहास में क्रिकेट मुक़ाबलों का आयोजन महज एक बार हुआ है, वो भी इसी ओलंपिक के दौरान.
कितनी हैरानी की बात है कि जिस फ्ऱांस में ओलंपिक खेलों में क्रिकेट मैच का आयोजन हो चुका है, उस फ्ऱांस का मौजूदा समय में क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं है.
पेरिस में आयोजित ओलंपिक खेलों में 19 खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ था, उनमें क्रिकेट भी शामिल था. मुक़ाबले में चार टीमें शामिल थीं- नीदरलैंड्स, बेल्जियम, ब्रिटेन और फ़्रांस. चौंकिए नहीं, फ़्रांस की टीम भी ओलंपिक में क्रिकेट का मुक़ाबला खेल चुकी है.
मुक़ाबला शुरू होने से पहले अचानक बेल्जियम और नीदरलैंड्स ने अपना नाम वापस ले लिया. यानी मुक़ाबले में महज दो टीमें बचीं- ब्रिटेन और फ़्रांस. इन दोनों के बीच केवल एक मुक़ाबला खेला गया और उसे ही फ़ाइनल घोषित किया गया.
इस मुक़ाबले के नियम भी कुछ अलग थे. इन क्रिकेट टीमों के खिलाड़ियों की संख्या 11 न होकर 12 थी. आपको यह भी ध्यान होगा कि उस समय में केवल टेस्ट क्रिकेट यानी पांच दिनों तक चलने वाले मुक़ाबले होते थे, लेकिन ओलंपिक में इसका आयोजन महज़ दो दिनों तक चलने वाले मैच के तौर पर किया गया था.
इसके लिए ब्रिटेन ने अपनी नेशनल टीम नहीं भेजी थी बल्कि ओलंपिक में हिस्सा लेने के लिए स्थानीय क्लब स्तर की टीम भेजी गई थी. फ्ऱांस की टीम भी पेरिस में रहने वाले ब्रिटिश अधिकारियों को शामिल करते हुए बनाई गई थी.
दो दिन चलने वाले मुक़ाबले में ब्रिटेन ने फ्ऱांस को हरा दिया था. यह भी अचरज की बात है कि इस मुक़ाबले की विजेता टीम को गोल्ड मेडल नहीं मिला था. बल्कि ब्रिटिश टीम को सिल्वर मेडल मिला था और फ़्रांसीसी टीम को ब्रॉन्ज़ मेडल दिया गया था.
दोनों टीमों को स्मृति चिन्ह के तौर पर आइफ़िल टावर की तस्वीर दी गई थी. लेकिन सबसे रोचक बात यह थी कि इन दोनों टीमों को नहीं मालूम था कि वे ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं.
दोनों टीमों को मुक़ाबले में उतरते वक्त यह मालूम था कि वैश्विक मेले के दौरान एक मैच में वे हिस्सा ले रहे हैं. दरअसल ओलंपिक खेलों के आयोजन के वक्त ही पेरिस में वैश्विक मेले का आयोजन भी चल रहा था.
ओलंपिक खेलों के आधिकारिक आंकड़ों में भी इस मुक़ाबले को 12 साल बाद शामिल किया गया और तब दोनों टीमों को गोल्ड और सिल्वर मेडल दिया गया.
पेरिस ओलंपिक खेलों में यह भी तय किया गया कि सेंट लुई में होने वाले तीसरे ओलंपिक खेलों के दौरान भी क्रिकेट शामिल होगा. मगर एक बार फिर इसमें शिरकत करने वाले देश नहीं मिले और इसके चलते क्रिकेट प्रतियोगिता को शामिल करने की योजना रद्द करनी पड़ी. उसके बाद अब तक ओलंपिक खेलों में क्रिकेट शामिल नहीं हो पाया.
लेकिन ऐसा क्यों हुआ, इसके बारे में खेल पत्रकार शरद कद्रेकर ने बताया, "जब आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत हुई थी, तब उन लोगों ने पांच दिनों के मैचों के आयोजन के लिए जगह नहीं बनाई. उन दिनों केवल टेस्ट मैचों का चलन था. ओलंपिक में इतने लंबे मैच कराने के लिए व्यवस्था करना मुश्किल था. यह भी आशंका जताई गई थी कि ज़्यादा टीमों के हिस्सा लेने से यह और भी लंबा चलेगा. इसी वजह से ओलंपिक खेलों से क्रिकेट बाहर रहा."
ओलंपिक में कोई नया खेल कैसे शामिल होता है?
क्रिकेट को फ़ॉलो करने वाले लोगों की संख्या एक अरब से ज़्यादा है, लेकिन यह अभी कुछ ही देशों में लोकप्रिय है. ज़्यादातर क्रिकेट फ़ैंस भारतीय उपमहाद्वीप के देश भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में मौजूद हैं.
भारत में क्रिकेट एक 'धर्म की तरह' है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर केवल 10-11 देशों को टेस्ट क्रिकेट खेलने का दर्जा मिला हुआ है. इसका मतलब है कि इन्हीं देशों में क्रिकेट खेला जाता है.
क्या आने वाले दिनों में क्रिकेट ओलंपिक का हिस्सा बन सकता है. इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जानना ज़रूरी है कि ओलंपिक खेलों में किसी नए खेल को कैसे शामिल किया जाता है?
हम जानते हैं कि हाल के दिनों में, बेसबॉल, स्केट बोर्डिंग और सर्फ़िंग को ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया है.
पहले ओलंपिक में किसी भी खेल को शामिल करने का फ़ैसला अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) करती थी. लेकिन अब आईओसी ने ओलंपिक में किसी नए खेल को शामिल करने की ज़िम्मेदारी मेजबान देश के ओलंपिक आयोजन समिति को दे दी है.
यह बदलाव ओलंपिक 2020 एजेंडे के लागू होने के बाद किया गया है. इसका उद्देश्य ज़्यादा से ज़्यादा लोगों, ख़ासकर युवाओं तक पहुंचना है. टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति ने नए खेलों को टोक्यो ओलंपिक में शामिल करने का प्रस्ताव 2015 में दिया था.
आईओसी ने इस प्रस्ताव को 2016 में स्वीकार कर लिया था.
तब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के अध्यक्ष थॉमस बाक ने कहा था, "हम खेल को युवाओं तक ले जाना चाहते हैं. युवाओं के पास अब कहीं ज़्यादा विकल्प मौजूद हैं, लिहाज़ा हम ये उम्मीद नहीं कर सकते हैं कि वे अपने आप हमारे पास आएंगे. हमें उनके पास जाना होगा. इसको ध्यान में रखते हुए जापान में लोकप्रिय पांच स्थापित और उभरते हुए खेलों को शामिल कर रहे हैं जो टोक्यो ओलंपिक की लेगेसी को बढ़ाएगा."
हालांकि मेज़बान देश की आयोजन समिति किन खेलों को शामिल करने पर विचार कर सकती है, इसको लेकर कुछ प्रावधान हैं.
पहली शर्त तो यही है कि उस खेल की प्रतियोगिताओं को आयोजित करने के लिए मेजबान देश के पास पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए. इसके साथ ही मेज़बान देश में उस खेल को लेकर एक संस्कृति होनी चाहिए. इससे यह भी स्पष्ट है कि कोई खेल जो एक ओलंपिक में शामिल है ज़रूरी नहीं है कि वो अगले ओलंपिक खेलों में भी शामिल रहे.
क्या क्रिकेट को दूसरा मौका मिला मिलेगा?
2024 में ओलंपिक खेलों का आयोजन पेरिस में होना है और इसके बाद 2028 का ओलंपिक लॉस एंजेलिस में होगा. अमेरिका और फ़्रांस, दोनों देश क्रिकेट नहीं खेलते हैं.
इन दोनों देशों में क्रिकेट बहुत लोकप्रिय भी नहीं है. ऐसे में इन देशों में क्रिकेट के लिए ज़रूरी बुनियादी सुविधाएं और स्टेडियम का अभाव भी है.
इसलिए ये दोनों देश ओलंपिक में क्रिकेट को शामिल करें, इसकी संभावना ना के बराबर ही है.
दूसरा रास्ता क्या हो सकता है?
इसके अलावा एक विकल्प यह हो सकता है कि इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (आईसीसी) इस मामले में पहल करे. इसके लिए उसे क्रिकेट खेलने वाले देशों के बोर्ड का समर्थन हासिल करना होगा.
इन लोगों को आपस में फ़ंड जमा करके ओलंपिक खेलों की मेज़बानी कर रहे देशों को मुहैया करानी होगी ताकि वह क्रिकेट से जुड़ी सुविधाओं की व्यवस्था कर सके.
क्रिकेट बोर्ड को यह रकम जुटाने के लिए अपनी सरकारों से पैसा मांगना होगा और यह कोई आसान रास्ता नहीं है.
आईसीसी की कोशिश
इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल, 2028 के लॉस एंजेलिस ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल कराने के लिए प्रयास कर रहा है. इसके लिए क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ानी होगी और आईसीसी ने इस उद्देश्य के तहत एक ओलंपिक कमेटी भी बनाई है.
पिछले साल अक्टूबर में आईसीसी ने सदस्य देशों से पूछा था कि अगर ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल किया जाता है तो वे अपने देश की सरकार से कितनी वित्तीय सहायता हासिल कर सकते हैं.
आईसीसी ने अपने सदस्य क्रिकेट बोर्डों को सवालों की एक सूची भेजी थी.
वैसे आईसीसी ने ऐसी कोशिशें पहले भी की हैं, लेकिन उसमें कोई कामयाबी नहीं मिली. पर लॉस एंजेलिस ओलंपिक खेलों के लिए आईसीसी एक बार फिर कोशिशों में जुटा है.
आईसीसी का मानना है कि ओलंपिक खेलों में क्रिकेट के शामिल होने से विश्व भर में क्रिकेट की लोकप्रियता बढ़ेगी. सबसे अहम बात यह है कि इससे क्रिकेट देखने वाले दर्शकों की संख्या भी बढ़ेगी.
ऐसी ख़बरें भी आई हैं कि आईसीसी ने इस दिशा में एक प्रस्ताव भी तैयार किया है.
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि 'अगर ओलंपिक खेलों में क्रिकेट को शामिल किया जाता है तो ओलंपिक आंदोलन को अपने प्रशंसकों से जोड़ने के लिहाज़ से यह बेजोड़ मौका उपलब्ध कराएगा क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप में बड़ी संख्या में क्रिकेट फ़ैंस मौजूद हैं.'
आईसीसी के मुताबिक भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे ज़्यादा क्रिकेट फ़ैंस मौजूद हैं.
इस प्रस्ताव के मुताबिक़ दुनिया भर में एक अरब से ज़्यादा क्रिकेट फ़ैंस मौजूद हैं. इनमें 92 प्रतिशत फ़ैंस भारतीय उपमहाद्वीप के देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका) में मौजूद हैं. ऐसे में क्रिकेट की लोकप्रियता से लॉस एंजेलिस ओलंपिक